शहद के रोग निवारण गुणों पर निरंतर शोधकार्य चल रहे हैं। यह एक गुणकारी पदार्थ है, जो इंसान के लिए प्राकृतिक उपहार से कम नहीं है। शहद में कई पोषक तत्व पाए जाते हैं, जिनमें ग्लूकोज, विटामिन, अमीनो अल्म, खजिन व शर्करा आदि शामिल हैं। ये तत्व मिलकर शहद को एक औषधीय रूप प्रदान करते हैं।
शिव का अभिषेक हो या किसी और देवता की पूजा, पूजन सामग्री में शहद का उपयोग पंचामृत के एक हिस्से के रूप में किया जाता है। विशेषतौर पर भगवान शिव के अभिषेक में इसका उपयोग सबसे ज्यादा होता है। शहद में ऐसे कौन से गुण होते हैं जिनके कारण यह इतना खास माना गया है?
वास्तव में शहद को उसके गुणों के कारण ही पूजा में उपयोग किया जाता है। शहद तरल होकर भी पानी में नहीं घुलता है। जैसे संसार में रहकर भी अलग रहने के भाव का प्रतीक है। यह घी या तेल की तरह पानी में बिखरता भी नहीं है। यह पंच तत्वों में आकाश तत्व का प्रतीक भी माना गया है। शहद में कई औषधीय गुण भी होते हैं। इसे आयुर्वेद में भी स्थान दिया गया है। शहद ऐसा पदार्थ होता है जिसे पेट और शारीरिक कमजोरी संबंधी सभी बीमारियों में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसकी तासिर ठंडी होती है।
एकदार्शनिक कारण यह भी है कि शहद ही ऐसा तत्व है जो जिसके लिए इंसान को प्रकृति पर निर्भर रहना पड़ता है, इसे कृत्रिम रूप से नहीं बनाया जा सकता। मधुमक्खियों द्वारा तैयार किया गया एकदम शुद्ध पदार्थ होता है। जिसके निर्माण में कोई मिलावट नहीं हो सकती। शहद को भगवान को इसी भाव से चढ़ाया जाता है कि हमारे जीवन में भी शहद की तरह ही पवित्र और पुण्य कर्म हों। चरित्र और व्यवहार में शहद जैसा ही गुण हो, जो संसार में रहकर भी उसमें घुले मिले नहीं, उसमें रहे भी और उससे अलग भी हो।