एक स्टडी से पता चलता है कि केसर कैंसर के जोखिम को रोकने में काफी प्रभावशाली है। केसर में क्रोसिन नामक यौगिक पाया जाता है जो कोलोरेक्टल कैंसर सेल को बढ़ने से रोकता है। इसके अलावा यह हिपैटिक, स्किन कैंसर और प्रोस्टेट कैंसर से भी हमारी सुरक्षा करता है। केसर में कैरोटीनॉयड प्रचुर मात्रा में पाया जाता है जो कैंसर से सुरक्षा प्रदान करता है। केसर में मौजूद क्रोसिन ब्रेस्ट कैंसर और ल्यूकेमिया के खतरे को कम करता है।
kesar केसर दिमाग को स्वस्थ रखता है और यादाश्त भी बेहतर बनाता है। एक स्टडी में पता चला है कि नियमित 30 ग्राम केसर का सेवन करने से अल्जाइमर से पीड़ित मरीजों के स्वास्थ्य में सुधार होता है। केसर में मौजूद क्रोसिन और एथनॉलिक मूड को काफी हद तक ठीक रखने में मदद करता है और यह सिजोफ्रेनिया से ग्रसित मरीजों के इलाज में भी काफी फायदेमंद साबित होता है। केसर न्यूरोटॉक्सिक प्रभाव को कम करता है और डोपामिन एवं ग्लूटामेट नामक न्यूरोट्रांसमिटर के उत्पादन को बढ़ाता है जिससे की हमारी यादाश्त में सुधार होता है।
त्वचा को निखारने और सुन्दर बनाने के भी गुण केसर में पाए जाते है। महिलाएं अगर इसका सही तरीके से और सही मात्रा में सेवन करें तो त्वचा सुन्दर लगने लगती है। लौ ब्लड प्रेशर की समस्या के लिए भी यह बेहतर औषधि है। इसे खाने से सर्दी खांसी और कफ में आराम मिलता है।
केसर में मौजूद एंटी फंगल और एंटी बैक्टीरिया गुण त्वचा में होने वाले मुहांसे और त्वचा संबंधी अन्य परेशानियों को दूर करते है।
पाचन क्षमता को मजबूत बनाने के गुण केसर में पाए जाते हैं। इसके अलावा यह डाइजेशन संबंधी सभी बीमारियों के इलाज में भी काफी प्रभावी है। केसर में एंटी इंफ्लैमेटरी, एंटीऑक्सीडेंट और रेडिकल को दूर करने के गुण पाए जाते हैं। इसकी वजह से यह पेप्टिक अल्सर और अल्सरेटिव कोलाइटिस को दूर कर हमारे शरीर की रोगों से सुरक्षा करता है। इसके अलावा प्राचीन समय से केसर का उपयोग अस्थमा के इलाज में भी किया जाता है। हालांकि अस्थमा के इलाज में इसका प्रभाव सीमित है इसलिए डॉक्टर से स्थायी इलाज कराना चाहिए।